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चेक बाउंस किसे कहते हैं ? Cheque Bounce धारा 138 क्या है ? चेक बाउंस होने पर क्या होता है ? चेक बाउंस होने पर क्या करें ? चेक बाउंस होने पर क्या सजा मिलती है, चेक बाउंस के नए नियम 2022

अक्सर हम सभी लोग Cheque Bounce होने के बारे में सुनते रहते हैं। हमारे आसपास कई ऐसे मामले आए दिन होते हैं। इसके बारे में जानकारी होना बेहद आवश्यक है। जिससे आपका नुकसान होने से बच जायेगा। जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं।

जब अकाउंट में पर्याप्त बैलेंस नहीं होता है। जब चेक बाउंस होता है। तो बैंक द्वारा ग्राहक को एक रसीद प्रदान की जाती है। जिसमें चेक क्यों बाउंस हुआ है। इसकी पूरी जानकारी लिखी होती है।

शायद हममें से कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं होगा। जो Cheque Bounce के बारे में नहीं जानता हो | क्योंकि आज के समय में सभी लोग बैंक से लेन देन करते हैं। और अक्सर चेक द्वारा ही लेन देन किया जाता है। हो सकता है कि आपने कभी चेक बाउंस होने की समस्या का सामना किया हो।

 

Cheque Bounce

Cheque Bounce

Cheque Bounce क्या होता है?

चेक से संबंधित जानकारी प्राप्त करने से पहले हमें यह जानना बेहद आवश्यक है। की कब हमारा Cheque Bounce हो जाता है? बात करें चेक बाउंस होने की तो जब आप किसी व्यक्ति को चेक काट कर देते हैं। लेकिन आपके अकाउंट में पर्याप्त बैलेंस नहीं होता है तो चेक बाउंस हो जाता है | जिसके कारण आपको कई तरह की परेशानी और आर्थिक नुकसान का भी सामना करना पड़ता है।

 

 

 

Cheque Bounce धारा 138 क्या है?

धारा 138 का संबंध परक्राम्य लिखित अधिनियम 1881 से है जिसमें Cheque Bounce से संबंधित अपराध आते हैं | यदि जारी किया गया चेक अकाउंट में पर्याप्त बैलेंस ना होने के कारण बाउंस हो जाता है। तो यह एक अपराध की श्रेणी में आता है। जिसके लिए चेक जारी करने वाले व्यक्ति को 2 साल की सजा और चेक अमाउंट की दोगुनी रकम का जुर्माना हो सकता है। लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें भी निर्धारित की गई हैं –

  • Cheque Bounce होना अपराध की श्रेणी में तब ही आता है। जब बैंक में 3 महीने या उतने समय के अंदर पेश किया गया हो। जितने समय तक उसकी वैधता है।
  • चेक प्राप्त करने वाले व्यक्ति द्वारा बैंक में चेक बाउंस होने की जानकारी मिलने के 30 दिनों के अंदर चेक जारी करने वाले व्यक्ति को लीगल नोटिस भेजकर बताया जाना चाहिए उसका चैक वाउन्स हो गया है और चेक अमाउंट का पेमेंट किया जाए।
  • यदि चेक जारी करने वाला व्यक्ति लीगल नोटिस प्राप्त करने के 15 दिनों के अंदर चेक अमाउंट का पेमेंट ना करें। तब चेक प्राप्त करने वाला व्यक्ति आगे की कार्रवाई कर सकता है।

 

Cheque Bounce:  चेक बाउंस हो जाने की स्तिथि में बैंक की तरफ से एक रसीद दी जाती है. उसमें आपको चेक बाउंस होने की वजह बताई होती है.

Cheque Bounce:  चेक की प्रक्रिया बैंकों की तरफ से पूरी की जाती है और रोजाना निपटारा किया जाता है. चेक का भुगतान प्रमाण प्राप्त करने के कारण भी जारी किए जाते हैं. चेक भुगतान का एक विश्वसनीय तरीका है. चेक का गलत इस्तेमाल न हो इससे बचने के लिए हमेशा चेक को क्रॉस चेक करने की सलाह दी जाती है.

चेक बाउंस होने पर क्या करना चाहिए? इसके बारे में जानकारी जरूर प्राप्त कर लेनी चाहिए।

क्योंकि कई बार पूरी जानकारी ना होने से आपको काफी परेशानी का सामना करना पड़ जाता है।

 

Cheque Bounce में कितने समय के लिए चेक वैध होता है

Cheque Bounce वैसे यह बात तो सभी लोग जानते हैं। कि चेक जारी होने की डेट से लेकर अगले 3 महीने तक ही चेक वैध होती है। इस दौरान आप कभी भी अपना चेक अकाउंट में लगा सकते हैं। यदि आप 3 महीने बाद चेक लेकर बैंक जाएंगे। तो बैंक आपका चेक क्लियर नहीं करेगा। क्योंकि वह चेक अमान्य हो जाता है। और उस चेक की कोई वैल्यू नहीं रह जाती है। जिसके कारण आपको खाली हाथ ही बैंक से वापस आना पड़ेगा।

 

Cheque Bounce होने के कारण

जाने चेक बाउंस होने के कारण

Check Bounce, चेक बाउंस होने के कई कारण हो सकते है लेकिन कुछ मुख्य कारण है। जिसके कारण आपका चेक बाउंस हो सकता है। जो कि निम्नवत है :-

  • जब चेक बैंक में जमा किया उस समय आपके खाते में बैलेंस का न होना।
  • देनदार का सिग्नेचर चेक पर मेल ना करना।
  • देरी से मतलब चेक इशु होने के 3 महीने बाद चेक बैंक में जमा करना।

 

  • बैंक अकाउंट में पर्याप्त धन न होना
  • हस्ताक्षर का न मिलना
  • अकाउंट नंबर का गलत होना
  • चेक में ओवरराइटिंग या गलती
  • जाली चेक का संदेह
  • फटा-कटा चेक
  • चेक की तारीख के साथ जारी करें
  • चेक की समय सीमा का खत्म होना
  • शब्दों और संख्याओं में राशि एकसमान न होना
  • ओवरड्राफ्ट की लिमिट को पार करना
  • चेककर्ता का अकाउंट बंद होना
  • भुगतान चेककर्ता द्वारा रोका जाना

 

Cheque Bounce के नए नियम 2022

अगर आप चेक से लेन देन करते है ऐसे में Cheque Bounce के नए नियम 2022 क्या है जाने

जब कोई व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ति को चेक प्रदान करता है लेकिन वह चेक बाउंस हो जाए तो ऐसे में चेक देने वाले पर जुर्माना लगाया जा सकता है, साथ ही जेल जाने की सजा भी मिल सकती है। ऐसे में चेक बाउंस के नियम व् शर्ते आपको पता होना चाहिए। चलिए जानते है चेक भुगतान के नए नियम क्या है?

चेक बाउंस हो जाने पर इन नियम का पालन जरुर करे

  • 30 दिन के भीतर चेक देने वाले व्यक्ति को (देनदार) को एक लीगल नोटिस भेजना चाहिए।
  • अगर देनदार पैसा दे देता है तो बात यही ख़त्म हो जाती है
  • अगर 15 दिन के भीतर आपको चेक पर मौजूद भुगतान राशि देनदार से नहीं प्राप्त होती है ऐसे में आप 15 दिन बाद किसी वकील के माद्यम से केस के लिए दरखास्त दे सकते है
  • इस तरह से चेक का भुगतान करने वाले व्यक्ति को सजा भी मिलेगी
  • साथ ही कोर्ट देनदार को चेक भुगतान राशि का दुगुना भुगतान करने के लिए सजा दे सकती है।
  • अगर आपका चेक बाउंस होता है, तो आप सही समय पर चेक बाउंस के प्रकिया या नियम को पूरा करे अन्यथा कोई फायदा नहीं होगा

Cheque Bounce होने पर क्या सजा मिलती है

अगर आपने किसी को चेक दिया तो वह इस बात का सबूत हो जाता है, कि आपको लेनदार को चेक पर मौजूद राशि का भुगतान करना है। ऐसे में आपका Cheque Bounce होगा तो आपको दो तरह की सजा मिल सकती है

  • पहला भुगतान राशि का दुगुना राशि देना पड़ सकता है
  • दूसरा Cheque Bounce होने के कंडीशन में आपको जेल भी हो सकती है
  • नेगोंशिएसन इन्स्ट्रूमेंट एक्ट के सेक्शन 138 के तहत यह सभी प्रकिया की जाती है।
  • ऐसे में चेक बाउंस होने से बचना ही सही उपाय है।

अगर चेक बाउंस होता है और केस किया जाए, तो कब तक चलेगा, इसकी कोई समय सीमा तह नहीं की गई है। क्योकि हमारे भारत देश में पहले से ही कई तरह के मामले अदालतों में लंबित है इसलिए चेक बाउंस केस कितने दिन चलेगा इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है।

 

Cheque Bounce होने पर क्या करें?

Cheque Bounce आम वित्तीय अपराधों में से एक है जो जारीकर्ता को कानूनी परेशानी में डाल सकता है और उसकी क्रेडिट रेटिंग को नुकसान पहुंचा सकता है। भारत में, चेक बाउंस अपराध से संबंधित लंबित अदालत के मामलों की संख्या बहुत बड़ी है। तकनीकी कारणों से हस्ताक्षर या ओवरराइटिंग के मेल-मिलाप के कारण, या जब खाते में अपर्याप्त धनराशि होती है जिसके परिणामस्वरूप बैंक द्वारा संसाधित नहीं किया जाता है। तब चेक को अवैतनिक या अनादरित किया जाता है।

बैंक चेक बुक सुविधा को रोक सकता है या यहां तक कि उसका खाता बंद कर सकता है। हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई केवल तभी की जा सकती है जब चेक 1 करोड़ या इससे अधिक की कीमतों में चार गुना अधिक बाउंस हो।

बैंक द्वारा जुर्माना

Cheque Bounce यदि किसी चेक को बाउंस किया जाता है, तो डिफॉल्टर और भुगतानकर्ता दोनों को उनके संबंधित बैंकों द्वारा चार्ज किया जाता है। यदि बाउंस चेक ऋण की चुकौती के खिलाफ है, तो आपको बैंक द्वारा जुर्माना शुल्क के शुल्कों के साथ अतिरिक्त भुगतान शुल्क भी देना होगा।

Cheque Bounce से क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव

गृह ऋण का लाभ उठाने पर, यह जांचना महत्वपूर्ण है कि आपके खाते में पर्याप्त धन है या नहीं। यदि अपका चैक बाउंस हो जाती है, तो बैंक तुरंत स्वीकृत ऋण को अस्वीकार कर सकता है।

इस प्रकार, सुनिश्चित करें कि आप हमेशा न्यूनतम औसत शेष राशि बनाए रखें और किसी भी अनियमित या असामान्य बैंक लेनदेन से बचें। आवर्ती चेक बाउंस आपके वित्तीय क्रेडिट इतिहास को प्रभावित कर सकता है जो भविष्य में ऋण का लाभ उठाने में आपके लिए मुश्किल बना सकता है।

Cheque Bounce के कारण आपराधिक प्रकरणों का सामना करना

Cheque Bounce यदि बैंक खाते में अपर्याप्त धन होते हुए चेक दिया गया है, तो यह एक आपराधिक अपराध है जो की  परक्राम्य लिखित अधिनियम 1881 की धारा 138 के तहत आता है। बैंक तुरंत ‘चेक रिटर्न मेमो’ जारी करता है,

पीड़ित पार्टी चेक रिटर्न ज्ञापन प्राप्त करने के 30 दिनों के भीतर कानूनी नोटिस भेजकर डिफॉल्टर पर कानूनी रूप से मुकदमा चला सकती है। नोटिस में मामले से संबंधित सभी महत्वपूर्ण तथ्यों का उल्लेख करना महत्वपूर्ण है। इसमें लेनदेन की प्रकृति, राशि, चेक जमा करने की तारीख और बैंक द्वारा अनादरित होने की प्रकृति शामिल है। यदि चेक जारीकर्ता नोटिस प्राप्त करने के एक महीने के भीतर एक नया भुगतान करने में विफल रहता है, तो धारक को उसके खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज करने का अधिकार है।

हालांकि, अगर पीड़ित पार्टी 30 दिनों के भीतर शिकायत दर्ज करने में विफल रहता है, तो अदालत मुकदमे को स्वीकार नहीं करेगी जब तक कि देरी वैध कारण के साथ उचित न हो। यदि चैक जारी करता को एक जानबूझकर डिफॉल्टर के रूप में दोषी पाया जाता है, तो उसके लिए दो साल की जेल की अवधि या जुर्माना लगाया जाएगा जो चेक राशि से दोगुना है, या दोनों। डिफॉल्टर को निचली अदालत के फैसले की तारीख के एक महीने के भीतर सत्र अदालत में अपील करने का मौका भी दिया जाता है।

Cheque Bounce के कारण सिविल सूट का सामना करना

Cheque Bounce यदि चैक की तारिक से तीन माह के भीतर चैक वाउन्स करवा कर  धारा 138 का मुकदमा नहीं लगाया जाता है तो इस अवधि से पश्चात् उसी चैक से एक सिविल सूट का मुकदमा लगाया जा सकता है | (संशोधन) अधिनियम के तहत, शिकायतकर्ता उस शहर में शिकायत दर्ज कर सकता है जहां वह आधारित है या जहां चेक जमा किया गया था। इससे पीड़ित के लिए कानूनी पुनर्भुगतान करना आसान हो जाता है।

याद रखने वाली चीज़ें

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ये उपचार केवल तभी संभव हैं जब लंबित ऋण या उत्तरदायित्व स्थापित किया जा सके। उदाहरण के लिए, धारक डिफॉल्टर पर मुकदमा नहीं कर सकता है अगर एक गिफ्ट चेक के रूप में एक बाउंस चेक जारी किया गया था।

उपलब्ध बकाया का ट्रैक रखना और बफर के रूप में अपने खाते में अतिरिक्त नकद बनाए रखना बुद्धिमानी है। यदि आप पाते हैं कि आपके खाते में अपर्याप्त धन है, तो आप भुगतानकर्ता को लिखित रूप में सूचित कर सकते हैं और चेक बैंक की तारीख से पहले अपने खाते में धनराशि रोक सकते हैं या अपने खाते में धन जमा कर सकते हैं।

 

Cheque Bounce होने पर क्या होता है?

जब किसी स्थिति में Cheque Bounce होता है तब इस स्थिति में 30 दिन के अंदर चेक देने वाले व्यक्ति को एक अधिकृत अधिवक्ता के द्वारा एक लीगल नोटिस भेजा जाता हैं। इस नोटिस में चेक बाउंस होने के कारण बताया जाता हैं।

चेक बाउंस होने पर भारतीय दंड संहिता IPC धारा 420 के तहत केश कर सकते हैं।

चेक बाउंस की स्थिति में आरोपी को 7 साल की सजा और जुर्माना दोनों हो सकती हैं।

चेक की वैलिडिटी चेक की लिखित दिनांक से 3 महीने तक कि होती है। मतलब की 90 दिनों में चेक को डिपाजिट करा लेना चाहिए।

चेक लगाने के 2 से 3 दिन के क्लियर हो जाता हैं। चेक क्लियर कराने के लिए एक बैंक से दूसरी बैंक जाना नही होता है। बल्कि इलेक्ट्रॉनिक्स फोटो भेजना होता है जिससे का जल्दी हो जाता हो।

तो दोस्तों यह थी चेक बाउंस होने के बारे में आवश्यक जानकारी। जानकारी अच्छी लगे तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें। साथ ही यदि आपका किसी प्रकार का सवाल हो तो निचे कमेंट बॉक्स में कमेन्ट करें ।

 

धन्यवाद।।

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